सिंधु घाटी सभ्यता (Sindhu Ghati Sabhyata) : सिंधु घाटी सभ्यता को सर्वप्रथम चार्ल्स मैसन ने 1826 ई0 में देखा। इस सभ्यता का विस्तार राजस्थान, पंजाब, गुजरात, उत्तरप्रदेश, सिंधु, बलूचिस्तान आदि में था। यह उत्तर से दक्षिण 1100 किलोमीटर और पूरब से पश्चिम 1600 किलोमीटर में फैला था। इसका आकर त्रिभुजाकार था। यह एक आद्यऐतिहासिक सभ्यता था जिसका समय 2300 ई0 पू0 से 1750 ई0 पू0 था।
सिंधु घाटी सभ्यता को किन किन नामो से जाना जाता है ?
सिंधु घाटी सभ्यता को मुख्यतः पांच नामो से जाना जाता है, जो की इस प्रकार हैं।
- सिंधु घाटी सभ्यता
- हड़प्पा सभ्यता
- आद्यऐतिहासिक सभ्यता
- प्रथम नगरीय सभ्यता
- कास्ययुगीन सभ्यता
विभिन्न राज्यों में सिंधु घाटी सभ्यता के खोजे गए स्थल
राज्य | खोजे गए स्थल |
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पंजाब | हड़प्पा, रोपड़ |
राजस्थान | कालीबंगा |
हरियाणा | बनावली, राखीगढ, मिताथल |
गुजरात | लोथल, रंगपुर, धौलावीर, सुरकोटदा |
जम्मू कश्मीर | माण्डा |
सिंध | मोहनजोदड़ो, चन्हुदड़ो |
उत्तरप्रदेश | आलमगीरपुर |
Note –
- स्वतंत्रता के बाद खोजा गया सिंधु घाटी सभ्यता का पहला नगर रोपड़ है।
- कालीबंगा को काली चुड़िया भी कहा जाता था।
- लोथल को बंदरगाह नगर भी बोला जाता था।
- सिंधु घाटी सभ्यता का क्षेत्रफल में सबसे बड़ा नगर धौलाविर था।
सिंधु घाटी सभ्यता में नदी के किनारे बसे प्रमुख नगर
नगर | नदी |
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हड़प्पा | रावी |
मोहनजोदड़ो | सिंध |
चन्हुदडो | सिंध |
कालीबंगा | घग्घर |
बनावली | सतलज |
माण्डा | चेनाब |
रंगपुर | मादर |
लोथल | भोगवा |
सुरकोटदा | भोगवा |
धोलावीरा | भोगवा |
कोटदीजी | सिंध |
सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता क्यों कहा जाता है?
सिंधु घाटी सभ्यता के विभिन्न शहरो में से सबसे पहले हड़प्पा शहर का ही खोज किया गया था। इसलिए इसे हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है। हड़प्पा सभ्यता का खोज 1921 ई0 में दयाराम साहनी ने की थी।
सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या था?
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग मुख्य रूप से कृषि पर आश्रित थे और इसलिए इनका मुख्य व्यवसाय भी कृषि ही था। यहाँ के लोग मुख्यतः गेहूं, जौ, मटर, और केला जैसी फसलों की खेती किया करते थे। लेकिन लोथल एवं रंगपुर से धान की भूसी का प्रमाण मिला है।
मोहनजोदड़ो में सबसे बड़ा भवन कौन सा है ?
मोहनजोदड़ो में एक विशाल सभा भवन मिला है। जिसके बारे में यह बोला जाता है की यहाँ जनता के प्रतिनिधि मिलकर शासन किया करते थे और यहाँ लोकतंत्रात्मक शासन था।
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की खोज किसने की ?
1921 ई0 में दयाराम शाहनी ने हड़प्पा की खोज की तथा राखलदास बनर्जी को मोहनजोदड़ो का खोज करता माना गया है।
सिंधु घाटी की सभ्यता कितने वर्ष पुरानी है?
सिंधु घाटी की सभ्यता के बारे में कहा जाता है की यह 5500 साल पुरानी सभ्यता है। लेकिन आईआईटी खड़गपुर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कुछ ऐसे तथ्य सामने रखें है की इससे पता चलता है यह 8000 साल पुरानी सभ्यता है और यह मिस्र की सभ्यता से भी पुरानी है।
सिंधु घाटी की सभ्यता का पतन कैसे हुआ?
सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के बारे में बहुत सी विचार धाराएं है उनमे से कुछ इस प्रकार हैं –
बाढ़ से – मोहनजोदड़ो में बाढ़ के मिट्टी का प्रमाण मिला है। इसलिए बोला जाता है की इस सभ्यता का अंत बाढ़ में बह जाने के कारण हुआ है।
भूकंप – इस सभ्यता के अंत के बारे में बोलै जाता है की भूकंप आने के कारण सिंधु नदी की दिशा में परिवर्तन आया और नदी के किनारे बेस सभी शहरो का अंत हो गया।
संक्रामक बीमारी के कारण – ऐसा भी बोला जाता है की संक्रामक बिमारी हो जाने के कारण जनसँख्या का अंत हो गया।
आर्यो का आक्रमण – मोहनजोदड़ो में कटे हुए हड्डियों का प्रमाण मिला है। इस आधार पर बोलै जाता है की आर्यो ने आक्रमण करके इस सभ्यता का अंत किया।